अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 2 अप्रैल को भारत सहित दुनिया के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर दिया. जिसके बाद से दुनिया भर के शेयर मार्केट से लेकर कमोडिटी मार्केट में हलचल मची हुई है. भारतीय शेयर बाजार पर भी इसका असर दिख है. लेकिन क्या इसका असर भारत के मेक इन इंडिया प्लान पर पड़ेगा. इस प्लान के तहत शुरू की गई स्कीम को क्या फिर से शुरू करना पड़ेगा. आइए समझते हैं.
देश में मेक इन इंडिया के तहत कई सारी योजनाएं चलाई गई हैं. उन में एक प्रमुख स्कीम पीएलआई स्कीम है. ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद से ही इस स्कीम पर दबाव आने की संभावना जताई जा रही है. भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें ग्लोबल टेंशन के बीच पीएलआई स्कीम को और मजबूती के साथ काम करने लिए सचेत किया गया है.
PLI पर फोकस की जरूरत
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अपना दोस्त बताते हुए भी 26 प्रतिशत की टैरिफ लगा दी है और चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है, जिसके बाद चीन ने भी शुक्रवार को अमेरिका से आने वाले प्रोडक्ट्स पर 34 फीसदी का ही टैरिफ लगा दिया. दुनिया में टैरिफ वॉर के बीच भारत अपने मैसिव वर्कफोर्स और कम लागत मूल्य की वजह से मजबूत स्थिति में हैं. हालांकि, देश को ग्लोबल टेंशन के बीच ज्यादा नुकसान न झेलना पड़े इसको लेकर एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में पीएलआई स्कीम को और मजबूत करने के लिए कहा है.
एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि भारत सरकार को मौजूदा पीएलआई योजनाओं का विस्तार करना चाहिए और उनकी अवधि को 3 साल तक बढ़ाना चाहिए, जिससे घरेलू उद्योगों के निवेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा. टैरिफ वॉर के बीच अमेरिका में स्टील, फुटवियर और कपड़ों का मार्केट भारत के लिए और खुलेगा. लेकिन इसके लिए देश को अपने प्रोडक्शन को बढ़ाने की जरूरत होगी. इसके लिए सरकार को पीएलआई स्कीम पर फोकस करना होगा.